मेरे सामने खबर है कि अमेरिकी सिनेमा और मनोरंजन जगत के एक सितारे ने धर्मपरिवर्तन कर लिया है। यह मुझे प्रलोभन से प्रेरित लगता है। यह बन्दा कल तक पीडोफीलिया (बच्चों के साथ वासनात्मक कृत्य) का मुकदमा झेल रहा था। अत: अचानक इसके मन में ट्रांसफार्मेशन हुआ हो – विश्वास कर पाना कठिन है।
भारत में जबरन धर्मान्तरण हुआ रहा होगा इस्लामिक, अंग्रेजी, पोर्चुगीज या फ्रांसीसी शासन में। अब वह केवल प्रलोभन से होता है। उसका सही प्रतिकार होना चाहिये, पर वह विचारधारा के स्तर पर अन्य धर्मों से हिन्दू धर्म में धर्मान्तरण की सम्भावनायें तलाशने के सार्थक यत्न से किया जाना चाहिये।

उस्ताद आशीष खान देबशर्मा, उस्ताद अल्लाउद्दीन खान, सरोदवादक के पौत्र। जिन्होंने सन २००६ में अपने को पूर्व बंगाल की ब्राह्मण परंपरा से जोड़ा।
मुक्ति उनके धर्म से ही सम्म्भव है; ऐसा अब्राहमिक धर्मों (Abrahamic religions – यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्म) में इन-बिल्ट है। यहूदी धर्मान्तरण करते हों, ऐसा मुझे ज्ञात नहीं। सोची समझी नीति के तहद करते होते तो उनकी संख्या भी बढ़ती होती। अभी तो कोच्चि में अपने मृत के संस्कार करने के लिये निर्धारित दस लोगों के जुटने की भी मशक्कत कर रहे हैं यहूदी!
क्रिश्चियानिटी और इस्लाम में यह धर्मान्तरण सक्रिय तरीके से होता है। भारत में वह बिना बल प्रयोग और बिना प्रलोभन के हो तो कोई समस्या ही न हो। पर तब वह "संख्या बढ़ाऊ कार्यक्रम" का हिस्सा नहीं बन सकता।
मैं सोचता था कि हिन्दू धर्म में धर्मान्तरण भूली-भटकी चीज होगी। पर विकीपेडिया का यह पेज तो बहुत से जाने पहचाने नाम गिनाता है जो अब्राहमिक या अन्य धर्मों/नास्तिकता से हिन्दू बने या हिन्दू धर्म में लौटे! इन मामलों में नहीं लगता कि हिन्दू धर्म ने धर्मान्तरण के लिये प्रलोभन या हिंसा का सहारा लिया होगा। उल्टे, हिन्दू धर्म में वापस आने के प्रति निष्क्रिय उपेक्षा भाव के बावजूद यह हुआ है। यह प्रक्रिया सक्रिय और तेज की जाने की आवश्यकता है।
मेरा मानना है कि किसी का धर्मान्तरण नहीं किया जाना चाहिये। और वह कैथोलिक चर्च, जिसका मैं अंग हूं, ने यह माना है कि एक अच्छा व्यक्ति, चाहे किसी भी धार्मिक विचारधारा का हो, मोक्ष पा सकता है।…
… जूलियो रिबैरो, रिटायर्ड आई.पी.एस.
आदिवासियों, गरीबों के बीच निस्वार्थ काम करना और उनके शिक्षण, उनके उत्थान और उनको हाइजीन-स्वास्थ्य सिखाना जागृत हिन्दू समाज ने व्यवस्थित ढ़ंग से बहुत कम किया है। ईसाई मिशनरियों ने किया है। उसके साथ अपना धर्म को भी जोड़ा है – उसमें बुराई नहीं। पर जहां प्रलोभन दे कर धर्मान्तरण किया, कर रहे हैं, उसका सार्थक विरोध होना चाहिये।
और वह सही रूप में तो अन्य धर्म वालों को हिन्दू धर्म के प्रति आकर्षित करने से हो सकता है।
जहां प्रलोभन दे कर धर्मान्तरण किया, कर रहे हैं, उसका सार्थक विरोध होना चाहिये।जिस धर्म में जायेंगे, उसे अपमानित ही करायेंगे। धर्मांतरण अब कारोबार है।आजकल जो धर्मांतरण चल रहा है, वो केवल अपने धर्म की संख्या बढाने के लिए ही हो रहा हैमजहब बड़ी ही निजी चीज होती है किसी को किसकी पूजा करनी है और कैसे करनी है ये उसका अपना अधिकार होना चाहिए. इस मामले में दूसरों की दखलंदाजी ग़लत है…. परोपकार करना है तो अपने धर्म वाला होने की क्या जरुरत है?
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अपने धर्म में आने को प्रेरित करने के लिए, अल्पसंख्यक समुदायों का ही प्रयास देखा जा सकता हैं। अपने धर्म पर गर्व करने का उद्घोष लगाने वाले तो इन मामलों में या तो आक्रमकता दिखाते हैं या घर वापिसी करने वालों के चरण धोते दिखते हैं। कभी आपने धर्म परिवर्तन के लिये बहुसंख्यकों में स्थायी एजेंडा देखा है?इस जीव जगत में लुप्त होती प्रजातियों के बारे में उनके लिए विशेष प्रयास तो सरकारें भी करती हैं। उन्हें विशेष सुविधाएं, सुरक्षा, प्रजनन प्रयास आदि भी एजेंडे में रखे जाते हैं। कभी बहुसंख्यक मानव जाति के लिए ऐसे प्रयास देखें हैं?फिर ये तो ब्रह्मांड के सबसे बुद्धिमान प्राणी, मानव के ही कुछ अल्पसंख्यक हैं जो अपनी संख्या खुद ही बढ़ाने के नाना प्रकार के प्रयास कर रहे हैं!वैसे माइकल ने जो कुछ किया, वह एक भटकती आत्मा का एक और प्रयास था किसी अज्ञात मंज़िल की ओर
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नमस्ते, वेब-यायावर हूँ, और घूमते हुए आपके ब्लॉग पे पहुँचा. प्रसन्नता हुई देख के कि हिन्दी का ब्लॉग जो की कई वर्षों से चल रहा है | इस प्रशंसनीय प्रयत्न पर आपको अभिनन्दन | आप का आज का चिटठा अच्छा विषय उठाता है | हम हिन्दुओं की परिभाषाएं इतनी बदल चुकी हैं (या कहें – बदली जा चुकी हैं) कि हम पूर्णतया दिग्भ्रमित हो गए हैं | धर्मं और पंथ में भेद भूल गए, जाति और वर्ण में अन्तर भूल गए | और इस आंध्र्ता का परिणाम यह है कि बहुत सी टिप्पणियां (शायद क्षुब्ध हो कर) धर्मं (सही मायने में पंथ) के ना होने के पक्ष में हैं. और ये तो समाज की मात्र एक झलक है | भाषण यहीं समाप्त करते हुए, आपको पुनः धन्यवाद |
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धर्म बदलने से इंसान कहाँ बदलता है…ये कौन कब समझेगा…???नीरज
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जो भी अपना धर्म परिवर्तन करता है, यह उस की अपनी सोच है लेकिन उचित नही है, क्योकि अगर हम निक्कमे है , बेकार है तो दुनिया का कोई भी धर्म अपना लो , रोटी तो मेहनत से ही मिलेगी, कोई कब तक हमारा धर्म बदल कर रोटी के टुकडे हमारे आगे फ़ेकता रहै गा, इसाई मन की शान्ति के लिये हरे रामा हरे कृष्णा का राग जपते है, लेकिन उन्हे असल मे पता ही नही, नाच गा कर भगवान को अपने मतलब के लिये नही पाया जा सकता, कोछ गरीबी से अपना धर्म बदल लेते है, तो क्या वो सच मै अमीर बन गये? कुछ डर कर अपना जोर जवर्दस्ती से धर्म बदल लेते है, तो क्या वो सच्ची उपासना कर सकते है???हम जिस धर्म मै पेदा हुये है उसी धर्म मै हमे रहना चाहिये,
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जिस ‘नायक’ को लेकर यह पोस्ट शुरु की गई थी, उसने तो 2005 में ही इस्लाम स्वीकार कर लिया था । बस, जाहिर अब किया गया हे – तीन साल बाद । मुक्केबाज केसियस क्ले ऊर्फ मोहम्मद अली की प्रेरणा से इस्लाम स्वीकार कर माइकल जेक्स अब मिकाइल बन गया है । मिकाइल का अर्थ है – फरिश्ते के बराबर । काले अमरीकियों में इस्लाम स्वीकार करना बहुत ही सामान्य परम्परा है । ओबामा भी ‘बराक हुसैन ओबामा’ हैं – अफ्रीकन अमेरीकी । ओबामा के राष्ट्र्पति बनने के बाद तो अमेरीका के काले, इस्लाम की ओर दौड्ते नजर आ रहे हैं ।
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धर्मांतरण धर्म दोनो से ज्यादा जरुरी चीज है धार्मिकता !!
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धर्म एक अच्छी चीज है, लेकिन बलात या लालच द्वारा धर्मपरिवर्तन एक अपराध है !!
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