झिनकू
झिनकू औराई के आगे फुटपाथ पर रहता है। कुल 5-7 परिवार हैं बांस की दऊरी, बेना आदि बनाने वालों के। आजमगढ़ के रहने वाले हैं ये। अपने गांव पांच साल में एक बार जाते हैं – तब जब प्रधानी का चुनाव होता है। जिसे वोट लेना होता है, वही ले कर जाता है। वही खर्चा देता है।
यहीं रहते हैं तो तय है कि अपनी मेहनत से कमाते होंगे। कोई जरायम पेशा नहीं|
मैंने उसे एक चेंगारी – बड़े कटोरे बराबर की दऊरी बनाने का ऑर्डर दिया। 100रू में एक। चेंगारी बनाई तो अच्छी पर कुछ बड़े आकार की। मन माफिक आकार की होती तो और बनवाता। न होने पर रिपीट ऑर्डर नहीं दिया।
मन था कि धईकारो के इस कौशल को अमेजन पर एक व्यवसाय का रूप दूँ। वह तालमेल झिनकू से न हो पाया।
कोई और झिनकू मिलेगा फिर कभी। फिर कहीं।